समाजवाद एवं साम्यवाद Class 10 Previous Year Question

प्रिय छात्र! इस पोस्ट में हम पढ़ेंगे समाजवाद एवं साम्यवाद चैप्टर से संबधित सारे प्रश्न, जो कि बिहार बोर्ड कक्षा 10 के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। हमने इस पोस्ट को इस तरह से तैयार किया है कि यह आपको पढ़ने में रोचक और सरल लगे। समाजवाद एवं साम्यवाद से संबंधित इसमें दिए गए सभी प्रश्न पहले Bihar Board के Class 10 परीक्षाओं में कई बार पूछे जा चुके हैं, इसलिए यह आपकी तैयारी में बेहद सहायक सिद्ध होंगे। और हमने यह भी प्रश्न के आगे बताया है कि किस साल में यह प्रश्न पूछा गया है।

Table of Contents

समाजवाद एवं साम्यवाद Class 10 Question Answer

समाजवाद एवं साम्यवाद लघु उत्तरीय प्रश्न 

Q1. क्रांति से पूर्व ऋषि किसने की स्थिति कैसी थी? – 2022AII

उत्तर:- क्रांति से पूर्व रूस में अधिकांश जनसंख्या किसान थी, जिनकी स्थिति बंधुआ मजदूरों जैसी थी। 1861 में कृषि दासता समाप्त हुई, पर उनकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ। छोटे खेत, पूंजी की कमी और करों के बोझ से वे दबे हुए थे, जिससे उनकी स्थिति दयनीय थी।

Q2. लेनिन द्वारा नई आर्थिक नीति की घोषणा क्यों की गई? – 2023AI

उत्तर:- लेनिन ने 1921 में नई आर्थिक नीति की घोषणा की क्योंकि तत्काल पूरी तरह समाजवादी व्यवस्था लागू करना मुश्किल था और रूस में विरोध बढ़ रहा था। उसने व्यावहारिकता दिखाते हुए मार्क्सवादी मूल्यों से कुछ समझौता किया ताकि आर्थिक स्थिति को सुधार सके।

Q3. बोल्शेविक क्रांति के दो तात्कालिक कारण बताइए? – 2023AII

उत्तर:- 1917 की रूसी क्रांति के दो तात्कालिक कारण थे:

1. जार की निरंकुशता और अयोग्य शासन: जार का कठोर और असक्षम शासन लोगों में असंतोष बढ़ा रहा था।

2. प्रथम विश्वयुद्ध में रूस की पराजय: युद्ध में लगातार हार ने जनता को क्रोधित कर दिया और जारशाही को समाप्त करने का संकल्प लिया।

Q4. मार्च क्रांति के बाद केरेंसकी के नेतृत्व में बनी सरकार का मुख्य उद्देश्य क्या था? – 2023AI

उत्तर:- मार्च क्रांति के बाद केरेंसकी के नेतृत्व में बनी सरकार का मुख्य उद्देश्य लोकतांत्रिक सरकार की स्थापना, युद्ध में मित्रराष्ट्रों के सहयोग से लड़ाई जारी रखना, व्यक्तिगत संपत्ति की रक्षा, संविधान सभा द्वारा भूमि समस्या का समाधान, और रूस की संस्थाओं में वैधानिक बदलाव लाना था।

Q5. शीत युद्ध के विषय में संक्षेप में लिखिए? – 2024AII

उत्तर:- शीत युद्ध प्रत्यक्ष युद्ध नहीं था बल्कि एक वाकद्वन्द्व और तनावपूर्ण माहौल था जहाँ पूँजीवादी राष्ट्रों और रूस के बीच संघर्ष होता रहा। यह द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद शुरू हुआ और इसमें दोनों पक्ष एक-दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करते रहे।

Q6. रूस की क्रांति ने पूरे विश्व को प्रभावित किया। किन्हीं दो उदाहरण द्वारा स्पष्ट करें। – 2011A

उत्तर:- रूसी क्रांति के दो मुख्य कारण थे:

(i) निरंकुश शासन: जारशाही का अत्याचारी और दमनकारी शासन, जिसमें विरोधियों को कठोर दंड दिया जाता था। रासपुटीन नामक भ्रष्ट पादरी का शासन में हस्तक्षेप।

(ii) कृषक और मजदूरों की दयनीय स्थिति: किसानों और मजदूरों का शोषण और उनकी बुरी हालत, जिसके कारण वे जारशाही के खिलाफ हो गए।

Q7. खूनी रविवार क्या है? – 2020AII, 2022AI

उत्तर:- रूस में जार के अत्याचार से तंग आकर 22 जनवरी 1905 को मजदूर अपने परिवारों के साथ पीटर्सवर्ग के महल की ओर एक शांतिपूर्ण जुलूस में जा रहे थे ताकि जार को एक प्रार्थनापत्र दे सकें। लेकिन सैनिकों ने उन पर गोलियाँ चला दीं, जिससे एक हजार से अधिक मजदूर मारे गए और कई हजार घायल हो गए। क्योंकि यह घटना रविवार के दिन हुई थी, इसे ‘खूनी रविवार’ कहा जाता है।

Q8. कार्ल मार्क्स के विषय में आप क्या जानते हैं? – 2012S

उत्तर:- कार्ल मार्क्स का जन्म जर्मनी के ट्रियर नगर में एक यहूदी परिवार में हुआ था। उन पर रूसो, मांटेस्क्यू और हीगेल के विचारों का गहरा प्रभाव था। मार्क्स और एंगेल्स ने 1848 में कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो प्रकाशित किया। उन्होंने पूंजीवाद की आलोचना की और श्रमिकों के हक की बात की। उनकी पुस्तक ‘दास कैपिटल’ 1867 में प्रकाशित हुई।

Q9. साम्यवाद क्या है? – 2024AII

उत्तर:- साम्यवाद, मार्क्स के विचारों पर आधारित है, जिसे उनकी पुस्तक ‘दास कैपिटल’ में विस्तार से बताया गया है। इसमें वर्ग संघर्ष, मूल्य सिद्धांत, पूंजीवादी और जमींदार वर्ग का उन्मूलन और काम के अधिकार को संवैधानिक अधिकार बनाने जैसे मुद्दे शामिल हैं। इसे साम्यवादियों की बाइबिल कहा जाता है।

Q10. बौद्धिक जागरण ने रूसी क्रांति को किस प्रकार प्रभावित किया? – 2024AI

उत्तर:- 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में रूस में बौद्धिक जागरण ने लोगों को निरंकुश राजतंत्र के खिलाफ बगावत के लिए प्रेरित किया। लियो टॉलस्टाय, ईवान तुर्गनेव, फ्योदोर दोस्तोवस्की, और मैक्सिम गोर्की जैसे लेखकों ने सामाजिक अन्याय और भ्रष्ट राजनीति का विरोध किया। कार्ल मार्क्स के विचारों ने किसानों और मजदूरों को शोषण के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया।

Q11. साम्यवाद एक नई आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था थी। कैसे? – 2014AI, 2017AI

उत्तर:- रूस में क्रांति के बाद साम्यवाद की स्थापना हुई। इससे सामाजिक असमानता और वर्ग विभाजन समाप्त हो गए। पूँजीपति और जमींदार वर्ग को हटाकर एक वर्गविहीन समाज बनाया गया। काम का अधिकार संवैधानिक बना दिया गया और निजी संपत्ति को खत्म कर राष्ट्रीयकरण किया गया। इस तरह, रूस में एक नई सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था बनी।

Q12. रूसी क्रांति के दो कारणों का वर्णन करें। – 2013A, 2017AII, 2018C, 2019AI, 2021AI

उत्तर:- रूसी क्रांति के दो मुख्य कारण थे:

(i) निरंकुश शासन: जारशाही का अत्याचारी और दमनकारी शासन, जिसमें विरोधियों को कठोर दंड दिया जाता था। रासपुटीन नामक भ्रष्ट पादरी का शासन में हस्तक्षेप।

(ii) कृषक और मजदूरों की दयनीय स्थिति: किसानों और मजदूरों का शोषण और उनकी बुरी हालत, जिसके कारण वे जारशाही के खिलाफ हो गए।

Q13. सर्वहारा वर्ग से आप क्या समझते हैं? – 2012S, 2018C

उत्तर:- सर्वहारा वर्ग वह वर्ग है जो समाज के किसान, मजदूर, और आम लोगों को शामिल करता है। इस वर्ग को कभी कोई सुविधा नहीं मिलती थी और न ही कोई अधिकार। इसे पूँजीपतियों ने हमेशा शोषित और उपेक्षित रखा। मार्क्स के अनुसार, यह वह वर्ग है जो श्रमिकों का होता है और जो अपने हक़ के लिए संघर्ष करता है।

Q14. पूंजीवाद क्या है? – 2019AI

उत्तर:- पूंजीवाद एक व्यवस्था है जिसमें कुछ लोगों के पास सभी उत्पादन के साधन, कारखाने और विपणन का पूरा अधिकार होता है। इस व्यवस्था में, जो लोग ज्यादा पूंजी या पैसा रखते हैं, वे ही संपत्ति और उत्पादन के मालिक होते हैं। उन्हें ही संपत्ति का लाभ मिलता है और वे नियंत्रण में रहते हैं। इस प्रकार की व्यवस्था में, जो लोग पूंजी के मालिक होते हैं, वे अपने हितों को ध्यान में रखते हैं और उन्हें ही उत्पादन का प्राथमिकता समझते हैं।

Q15.अक्टूबर क्रांति क्या है? – 2018C, 2019AII

उत्तर:- अक्टूबर क्रांति 7 नवंबर 1917 को हुई, लेकिन पुराने रूसी कैलेंडर के अनुसार यह 25 अक्टूबर 1917 थी, इसलिए इसे अक्टूबर क्रांति कहते हैं। यह क्रांति बोल्शेविक और मेन्शेविक दलों के बीच सत्ता संघर्ष के कारण हुई थी। मार्च क्रांति के बाद सत्ता मेन्शेविक नेता करेन्सकी के हाथ में आ गई थी, लेकिन उनकी सरकार अलोकप्रिय हो गई। इस असंतोष के बीच बोल्शेविक नेता लेनिन ने करेन्सकी सरकार का तख्ता पलट दिया। इसके बाद शासन की बागडोर लेनिन के हाथों में आ गई और रूस में नए समाजवादी निर्माण की शुरुआत हुई।

समाजवाद एवं साम्यवाद दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 

Q1. लेनिन के जीवन एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डालें। – 2019AII

उत्तर:- लेनिन का जीवन और उपलब्धियाँ रूसी इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण हैं। उनका जन्म 10 अप्रैल, 1870 को सिमब्रस्क नामक गाँव में हुआ था। वह बचपन से ही विद्रोही स्वभाव के थे और जारशाही के कट्टर विरोधी थे। लेनिन बोल्शेविक दल के सदस्य बन गए और 1905 की रूसी क्रांति में भाग लिया। हालांकि, यह क्रांति असफल रही और उन्हें रूस छोड़ना पड़ा।

1917 की क्रांति के दौरान, जर्मनी की मदद से लेनिन रूस लौटे। उन्होंने बोल्शेविक दल का कार्यक्रम प्रस्तुत किया और तीन प्रमुख नारे दिए – भूमि, शांति और रोटी। ट्राटस्की के सहयोग से उन्होंने करेन्सकी की सरकार को उखाड़ फेंका और नई बोल्शेविक सरकार के अध्यक्ष बने।

लेनिन ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए:

  1. जर्मनी के साथ युद्ध समाप्त किया और 1918 में ब्रेस्टलिटोवस्क संधि की।
  2. राष्ट्रीयता और साम्राज्यवाद विरोधी नीति अपनाई।
  3. ‘चेका’ और ‘लाल सेना’ की मदद से क्रांतिकारियों का दमन किया।
  4. नई आर्थिक नीति लागू की, जिसमें सरकार ने सारी सम्पत्ति और उत्पादन पर अधिकार कर लिया।
  5. स्त्रियों को पुरुषों के समान अधिकार दिए और धर्मनिरपेक्षता की नीति अपनाई।
  6. निःशुल्क प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था की और प्रशासनिक सुधार किए।

1924 में लेनिन की मृत्यु हो गई, लेकिन उन्होंने रूस का नवनिर्माण करके उसे एक नई दिशा दी।

2. यूटोपियन समाजवादियों के विचारों का वर्णन करें। – 2016AII

उत्तर:- यूटोपियन समाजवादी ऐसे आदर्शवादी लोग थे जिनके विचार और योजनाएँ व्यवहारिक नहीं मानी जाती थीं। इन्हें “स्वप्नदर्शी समाजवादी” भी कहा जाता था क्योंकि उनके लिए समाजवाद सिर्फ एक सिद्धांत था। ये अधिकतर फ्रांस के थे और ये क्रांति की बजाय शांतिपूर्ण तरीके से समाज में बदलाव लाने पर विश्वास रखते थे। वे वर्ग संघर्ष के बजाय वर्ग समन्वय के समर्थक थे।

पहले महत्वपूर्ण यूटोपियन समाजवादी फ्रांसीसी विचारक सेंट साइमन थे। उन्होंने सोचा कि राज्य और समाज का पुनर्गठन ऐसा होना चाहिए जिससे शोषण खत्म हो और गरीबों की स्थिति सुधरे। उनका नारा था “प्रत्येक को उसकी क्षमता के अनुसार और प्रत्येक को उसके कार्य के अनुसार”।

चार्ल्स फूरिए, एक और महत्वपूर्ण यूटोपियन विचारक, औद्योगिकवाद के खिलाफ थे और मानते थे कि श्रमिकों को छोटे नगरों में काम करना चाहिए ताकि पूंजीपति उनका शोषण न कर सकें। लुई ब्लॉ एकमात्र यूटोपियन थे जिन्होंने राजनीति में भी हिस्सा लिया। उनका मानना था कि आर्थिक सुधारों से पहले राजनीतिक सुधार जरूरी हैं।

हालांकि आरंभिक समाजवादी अपने आदर्शों में सफल नहीं हो सके, लेकिन उन्होंने पहली बार पूंजी और श्रम के बीच संबंध निर्धारित करने की कोशिश की।

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